🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
तलाक़ और इद्दत
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📛ज़िहार: अपनी बीवी का अपनी माँ के साथ तुलना करना - 04📛
उनकी तरफ इस भेद की वजह से सहाबिया उनकी बड़ी इज़्ज़त करते थे. हज़रात उम्र की खिलाफत में एक बार आप जानवर पे सवार होकर जा रहे थे और हज़रात खौल के पास से गुज़र हुआ. आपके साथ बड़ी तादाद में लोग जुड़े हुए थे. हज़रात खौल ने आपको रुकय और आपको नसीहत देने लगी. कहने लगी, "ए उमर! याद है वो वक़्त जब लोग आपको ओमैर बुलाया करते थे. उसके बाद आपको उमर कहकर पुकारने लगे और अब आपको अमीरुल मोमिनीन कहते है. इसलिए ए उमर! अल्लाह त'आला से डरते रहो. जो सख्स मौत से डरता है उसे हमेशा कुछ ज़रूरी भूलने का डर रहता है. जो सख्स हिसाब किताब (मैदान ए हस्र) मेर मानता है, वो सजा में भी मानता है." हज़रात उमर आपके नसीहत को शांति और सब्र से सुनते रहे. काफी वक़्त गुज़र हजाने के बाद लोगो ने कहा, "अमीरुल मोमिनीन! आप कितनी देर यहाँ रुक कर इस बूढी औरत को सुनोगे?" आपने जवाब दिया, "अल्लाह की कसम! अगर आप मुझे यहाँ सुबह से रात तक रखेगी तो भी मैं रहुगा. मैं आपसे सिर्फ नमाज़ पढ़ने जाने की इज़ाज़त मांगूगा."
"क्या आपको पता है ये बूढी औरत कौन है? ये खौला बीनते थालाबा है जिनकी फर्याद अल्लाह त'आला ने सातो आसमानो के परे सुनली. ये कैसे मुमकिन है की खुद इन्हें सुन ले और उमर न सुने?"
(ज़िया उल क़ुरान: खंड 5 , पुष्ट 135 & 136)
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