Sunday, December 11, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 043

✅खुला - व्याख्या और आदेश - 03✅

मसला:
खुला भी तलाक़ ही है इसलिए ये ज़रूरी है की वो तंदूरस्त दिमाग का हो और बालिग़ हो क्योंकि एक पागल या न बालिग़ लड़के को तलाक़ देने का इख्तियार नहीं. दूसरी बात ये है की और तलाक़ देने के लायक होनी चाहिए मतलब अगर उसे एक न रुजू करने वाली तालकाक दी जा चुकी है और वो इद्दत में है तो खुला कर नहीं सकते. इसी तरह, अगर निकाह रद्द हो या औरत इस्लाम से मुकर कर काफ़िर हो जाए तो खुला का कोई मसला नहीं आता क्योंकि दोनों किस्सो में निकाह टूट चूका है. अगर औरत रुजू करने वाली तलाक़ के तहत इद्दत गुज़र रही है तो खुला कर सकते है.
(दुर्र ए मुख़्तार, रद्द उल मुख़्तार, बहार)

मसला:
अगर शोहर बीवी से कहा 'मैं तेरे से खुला चाहता हु' मगर कोई शर्त या रकम या चीज़ का ज़िक्र नहीं करता तो खुला होगा नहीं मगर तलाक़ लागू हो जायेगी और ये बीवी के इख्तियार में नहीं.
(बदाइ, बहार)

मसला:
अगर शोहर कहे 'मैं तुझे फला फला चीज़ों की भरपाई पर छोड़ता हु' और बीवी कहे 'ठीक है' तो खुला होगा नहीं. बीवी को चाहिए के वो कहे 'मुझे मंज़ूर है' या 'मैं इसकी इज़ाज़त देती हु.' यही अल्फाज़ो के इस्तेमाल पे खुला होगा. इसी तरह, अगर बीवी कहे के 'मैं 1000 रुपयो के लिए तलाक़ क़ुबूल करती हु' और शोहर कहे ठीक है तो तलाक़ लागू होगी.
(हिंदिया, बहार)

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