Monday, December 5, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 037

🔊कसम वाले अलफ़ाज़ - 04🔊

मसला:
जो सख्स जिस्मानी ताल्लुकात से सुलह नहीं कर सकता और सिर्फ अपने दिल से सुलह करता है मगर जुबां से कहता नहीं तो उसके लिए कोई सुलह नहीं है.
(रद्द उल मुख़्तार, बहार वगैरा)

मसला:
अगर कसम तभी ली गयी जब वो मजबूर न था मगर सुलह के बाद मजबूर हो गया तो फिर ज़ुबानी सुलह काफी नहीं होंगी. वेसे ही, अगर कोई तंदुरस्त इंसान कसम लेता है और फिर बीमार हो जाता है तो सिर्फ ज़ुबानी सुलह काफी नहीं होगी और सुलह जाइज़ करवाने के लिए जिस्मानी ताल्लुकात बनाने पड़ेगा.
(दुर्र ए मुख़्तार, रद्द उल मुख़्तार, बहार)

मसला:
चुम्बन या मनोभावपूर्वक छूना, उसके निजी अंंग देखना या सामान्य मार्ग से अलग असामान्य मार्ग से जिस्मानी ताल्लुकात बनाने से सुलह नहीं होंगी.
(हिंदिया, बहार)

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🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
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