Thursday, December 8, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
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✅खुला✅

पवित्र क़ुरान फरमाता है:

الطَّلاَقُ مَرَّتَانِ فَإِمْسَاكٌ بِمَعْرُوفٍ أَوْ تَسْرِيحٌ بِإِحْسَانٍ وَلاَ يَحِلُّ لَكُمْ أَن تَأْخُذُواْ مِمَّا آتَيْتُمُوهُنَّ شَيْئاً إِلاَّ أَن يَخَافَا أَلاَّ يُقِيمَا حُدُودَ اللّهِ فَإِنْ خِفْتُمْ أَلاَّ يُقِيمَا حُدُودَ اللّهِ فَلاَ جُنَاحَ عَلَيْهِمَا فِيمَا افْتَدَتْ بِهِ تِلْكَ حُدُودُ اللّهِ فَلاَ تَعْتَدُوهَا وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ اللّهِ فَأُوْلَـئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ

“तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है.”
(अल-बक़रा - 229)

तफ़्सीर ख़ज़ाईन उल इरफ़ान में फरमाया गया है:
'ये आयत जमीला बीनते अब्दुल्लाह के लिए भेजी गयी थी जो हज़रत थाबित बिन क़ैस बिन शमास की बीवी थी मगर उनसे मुहब्बत न करती थी. वो रसूलल्लाह के पास आई और अपने शोहर की शिकायत करने लगी और बताया की वो किसी भी हालात में उसके साथ नहीं रहना चाहती. हज़रत थाबित ने बताया के उसने उसकी बीवी को एक बाग़ दिया था और अगर उसकी बीवी उसके साथ न रहना चाहे तो उसे उसका बाग़ वापिस मिल जाना चाहिए तो वो उसे छोड़ देंगे. जमीला ने ये कबूल कर लिया, बाग़ को लौटा दिया और हज़रत थाबित ने उसे तलाक़ देदी.

इमाम बुखारी एक हदीस फरमाते हुए कहते है की हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास फरमाते है की थाबित बिन क़ैस की बीवी, आई और अपने शोहर से अलग होने (खुला) की मांग की और कहा, "मुझे थाबित के चरित्र पे शंका नहीं है, उनका चरित्र बहुत पाक है और बहुत दीनी इंसान भी है. मगर मैं दिल से उन्हें प्यार नहीं करते हुए मेरी जुबां से उनकी तारीफ करके मेरे ईमान में खराबी नहीं पैदा करना चाहती. ये वो चीज़ है जो इस्लाम मना फरमाता है, इसलिए आप इन्हें कहो की वो मुझे तलाक़ देदे." ये सुनने पर रसूलअल्लाह ने पूछा, "क्या तुम थाबित को वो बाग़ लौटा सकती हो जो उसने तुम्हे मैहर में दिया था?" उसने जवाब दिया की वह दे देंगी. रसूलअल्लाह ने हज़रत थाबित को बुलाया और कहा, "थाबित ये तुम्हारा ये बाग़ वापिस लेलो और अपनी बीवी को एक तलाक़ देदो." हज़रत थाबित ने वही किया जो आपका फरमान हुआ और एक तलाक़ देदी.
(बुखारी शरीफ)

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