Thursday, September 29, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशिष्टता

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❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशिष्टता❄
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🌱बचपन🌱

हजरत अबू हुरैरा (रदिअल्लाहु त'आला अन्हु) फरमाते हैं कि एक बार वे रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के साथ चल रहे थे, जब उनहोने इमाम हसन और इमाम हुसैन को रोते हुए सुना. वजह पूछने पर, हजरत फातिमा (रदिअल्लाहु त'आला अन्हा) ने कहा है कि वे प्यास की वजह से रो रहे हैं. रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने सभी उपस्थित लोगों से पूछा अगर किसी के पास भी पानी था?, लेकिन किसी के पास भी पानी न था. इसके बाद उन्होंने हजरत फातिमा से उन्हें एक बच्चा देने के लिए कहा: उन्होंने बच्चे को ले लिया और उसे छाती से लगा लिया और बच्चे के अपने मुंह में से अपनी मुबारक जीभ चूसने को दे दी. बच्चे ने जीभ चूसा जब तक वह संतुष्ट हो गया और रोना बंद कर दिया. इसके बाद उन्होंने दूसरे बच्चे के साथ भी ऐसा ही किया जब तक वह भी संतुष्ट हो गया और रोना बंद कर दिया.
[ज़िक्र ए जमील, इब्ने असकर, तिब्रानी]

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🌿रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के कंधों पर सवार होकर🌿

हजरत ओसामा बिन ज़ैद (रदिअल्लाहो त'आला अन्हु) फरमाते हैं कि एक रात मैं रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) का दौरा किया और उन्हें उनकी पीठ पर कुछ ले जाते देखा जो मैं पहचान नहीं सका. जब मैंरा काम ख़तम हो गया तो मैंने रसूलल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से पूछा, 'आप क्या ले जा रहे हो?' रसूलल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने चददर हटाई तो मैंने देखा कि वह इमाम हसन और इमाम हुसैन को ले जा रहे थे. उसके बाद उन्होंने कहा, 'हे अल्लाह! ये दोनों मेरे बेटे है और मेरी बेटी के बेटे हैं. या अल्लाह! मैं इन्हें प्यार करता हूँ और तू उन्हें प्यार करना जो इन्से प्यार करे.'
[तिर्मिज़ी, मिश्कात शरीफ]

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🍁बेटे और नवासे के बीच चुनना🍁

एक बार जब रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) उनके बाएं हाथ पर हज़रत इमाम हुसैन (रदिअल्लाहो त'आला अन्हु) और उनके दाहिने हाथ पर अपने बेटे हजरत इब्राहिम (रदिअल्लाहो त'आला अन्हु) को ले जा रहे थे. तभी हजरत जिब्राईल (अलैहिससलाम) आ पहुंचे और फरमाया, 'अल्लाह इन दोनों बच्चों को आपके पास नहीं रहने देगा और और इन में से एकक को फिर से उसके पास बुला लेगा. आप जिसे अपने पास रखना चाहते हो उसे चुन सकते हो।' रसूलल्लाह (सलअल्लाहू अलैहे वसल्लम) ने कहा, 'हुसैन चला जाएगा तो मैं, फातिमा और अली (रदि'अल्लाहो त'आला अन्हु) तीनो को बहुत दुःख होगा, लेकिन यदि इब्राहिम चला जाता है, तो मुझे ही सबसे ज्यादा दुःख होगा। और इसलिए मैं हुसैन का जीना पसंद करुगा।' इस घटना के तीन दिन बाद, हजरत इब्राहिम (रदिअल्लाहु त'आला अन्हु) का इन्तेक़ाल हो जाता है. इसके बाद जब भी इमाम हुसैन (रदिअल्लाहो त'आला अन्हु) रसूलल्लाह (सलअल्लाहू अलैहे वसल्लम) के पास आते थे, तोह आप उनके माथे को चूम और कहते हैं, 'आपका स्वागत हे हुसैन क्योंकि आपके लिए मैंने अपना बीटा क़ुर्बान किया है।'
[शवाहीदुन नबुव्वत]

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