Thursday, September 29, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
Post 006 & 007

🌱रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) अपना खुतबा रोकते हुए..🌱

हज़रात बुरैदाह (रदीअल्लाहो त’आला अन्हु) फरमाते है की रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) एक बार खुतबा दे रहे थे जान हज़रत इमाम हसन (रदीअल्लाहो त’आला अन्हु) और हज़रत इमाम हुसैन (रदीअल्लाहो त’आला अन्हु) खेलते हुए आ पहुचे, दोनों ने लाल रंग का कुरता पहना हुआ था. रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) मिम्बर शरीफ से निचे आये और उनका हाथ पकड़ कर उन्हें पास बिठा दिया. उसके बाद उन्होंने कहा, 'बेशक अल्लाह ने सही फरमाया है की तुम्हारी दौलत और तुम्हारे बच्चे एहि तुमहरी आज़माइश है. ' जब मैंने इन दो बच्चो को असंतुलित तरीके से चलते हुए देखा, तो मैं अपने आप को रोक नहीं पाया और मेरा खुतबा रोक कर इन्हें सहारा दिया.’

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🌿हज़रत जिब्रील (अलैहिससलाम) का सहारा🌿

एक दिन हज़रत इमाम हसन (रदीअल्लाहो त’आला अन्हु) और हज़रत इमाम हुसैन (रदीअल्लाहो त’आला अन्हु) मस्ती में कुस्ती करने लगे.
रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) देख रहे थे और फरमाया, ‘हसन, हुसैन को पकड़ (संभाल) ले.’ यह सुनने पर हज़रत फातिमा (रदीअल्लाहो त’आला अन्हा) कहती है, ‘या रसूलअल्लाह! आप हसन की मदद कर रहे हो जबकि हुसैन छोटा है.’ रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने जवाब दिया, "हुसैन की मदद जिब्रील कर रहे है."
[शवाहीदुन नबुव्वत]
एक बार एक गांववाला रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के पास आया और उन्हें एकक हिरन का बच्चा भेट में दिया. थोड़ी देर बाद हज़रत इमाम हसन आये जिस पर रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने उन्हें वह हिरन का बच्चा दे दिया. जब इमाम हुसैन वह हिरन का बच्चा देखा तो पूछा, ‘ऐ मेरे भाई, यह हिरन का बच्चा आप कहा से लाये?’ ‘इमाम हसन ने जवाब दिया 'हमारे नाना ने मुझे यह दिया है.' इमाम हुसैन जल्दी से दौड़ कर रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के पास पहुचे और हिरन के बच्चे की मांग की. रसूलअल्लाह ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की मगर इमाम हुसैन सुनने को राज़ी नहीं थे और रोने की तैयारी में थे. बस तभी एकक हिरन आया और कहने लगा, ‘एक गांववाले ने मेरा एक बच्चा आपको तोहफे में दिया है और अब अल्लाह के फरमान के मुताबिक़, मईयहाँ अपना दूसरा बच्चा उमाम हुसैन को तोहफे में देने के लिए लाइ हू क्योंकि आप उसके लिए ज़िद्द कर रहे थे.”
[रौधतुस शोहदा]

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🍁जन्नत से लिबास🍁

बताया जाता है की ईद की अगली रात, इमाम हसन और इमाम हुसैन अपनी वालिदा के पास आये और कहा, ‘कल ईद है और मदीना के सारे बच्चे नए कपडे पहनेगे. क्या रसूलअल्लाह के नवासे नए कपडे नहीं पहनेंगे?’ हज़रत फातिमा (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हा) यह ख्वाइश सुन कर भावुक हो गयी और अपने बच्चे से वादा किया के वे नए कपडे पहेंगे. हज़रत फातिमा, जन्नती औरतो की सरदार नमाज़ अदा करती है और अपने रब की बारगाह में हाथ उठा कर दुआ मांगती है और कहती है, 'या अल्लाह! मैंने मेरे बच्चे को वादा किया है और अब यह ज़िम्मेदारी में आपको देती हू.' तभी उन्हें दरवाज़ा खटखटाने की आवाज़ सुनाई दी, उन्होंने पूछा 'कौन है?' 'मैं रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) के खानदान का दरजी हु और उनके बच्चो के लिए नए कपडे लाया हू.' बाहर से आवाज़ आई. सय्यिदाह फातिमा ने दोनों बच्चो को सुबह वो लिबास में तैयार कर दिया. जब रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) आये तो उन्होंने पूछा, 'आपको पता है यह कपडे कहा से है और इसे कौन लाया है?' हज़रत फातिमा ने जवाब दिया 'हे मेरे वालिद! मुझे नहीं पता, आप ही बताये.' रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम) ने कहा, 'वह जिब्रइल थे जो अल्लाह के फरमान के मुताबिक़ जन्नत से लिबास लाये.'
[रौधतुस शोहदा]

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