Friday, September 30, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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❔फैसला कौन करेंगा.?❔

हज़रत अल्लामा नुसकी (रहमतउल्लाहे अलैह) फरमाते हँसी की एक बार इमाम हसन और इमाम हुसैन (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) ने अलग अलग पटिया पे कुछ लिखा. दोनों दावा कर रहे थे के उनकी लिखाई बेहतर है. पुष्टि करने के लिए वे अपने वालिद हज़रात अली (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) के पास गए. हज़रत अली (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) यह फैसला नहीं कर पाए जिन्होंने अपनी ज़िन्दगी में बड़े बड़े फैसले खुद लिए थे, क्योंकि वह दोनों में से किसी को दुखी नहीं करना चाहते थे, और इसलिए उन्होंने बच्चो को हज़रात फातिमा (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) के पास भेज दिया. वे हज़रात फातिमा (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) के पास गए, जहा उन्होंने भी अपने शोहर जैसी मशक्कत महसूस की और अपने वालिद रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के पास दोनों बच्चो को भेज दिया. रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम), दुनिया के सबसे महान और सबसे सर्वोत्तम फैसला करने वाले, दोनों में किसी बच्चे के तरफ फैसला नहीं करना चाहते थे, ताकि दुसरे को बुरा लगे. इसलिए आपने कहा की यह फैसला हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) करेंगे. हज़रात जिब्रील (अलैहिस्सलाम) तुरंत हाज़िर हुए और फरमाया, 'यह फैसला तो अल्लाह सुबहानव त'आला करेंगे और अल्लाह के फरमान के मुताबिक मैं जन्नत से एक सेब लाया हू. मैं अब इसको हवा माँ उछालूंगा और यह जिसके भी पटिये पे गिरेगा वो जीत जाएंगे. जब सेब को हवा माँ उछाला गया, तोह उसके दो टुकड़े हो गए और दोनों बच्चो के पटिये पे जाकर गिरे, यह फैसला लाते हुए के दोनों बच्चो की लिखाई श्रेष्ठ थी.'
[नुज़हतुल मजलिस]

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🛡फरिश्तो से हिफाज़त🛡

एक दिन हज़रत फातिमा (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) व्यथित अवस्था में रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के पास आयी. यह देखते ही रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने वजह पूछी. हज़रत फातिमा (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) ने बताया की वे अपने दोनों बच्चो को नहीं ढूंढ़ पा रही है. तभी हज़रत जिब्रील (अलैहिस्सलाम) तशरीफ़ लाये और रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से फरमाने लगे की दोनों बच्चे यह जगह पर सो रहे है और फरिस्ता उनकी हिफाज़त कर रहा है. जब रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) वो जगह पर पहुंचे तो, आप ने वह एक फरिस्ता देखा जो अपने एक पर को बच्चो के नीचे और दुसरे पर को उनके ऊपर बिछाये हुए उनकी हिफाज़त कर रहे थे. इसके बाद रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने दोनों बच्चो को अपने दोनों कंधो पे उठाया और चलने लगे. रास्ते में उन्हें हज़रत अब बकर सिद्दीक़ (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) मिले जो रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) से एक बच्चा उन्हें दे देने के लिए कहने लगे. रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने मुस्कुरा कर कहा, 'देखो, उनकी सवारी कितनी ऊँची है और सवार भी.' मस्जिद पहुचते ही रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने अपने सहाबी से फरमाया, 'क्या मैं आपको वह लोग दिखाऊ जो इंसानियत में सबसे श्रेष्ठ है?' सहाबी ने कहा, 'या रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम), हमें बताये वो कौन है.' रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने ज़ाहिर किया की वह यह दोनों बच्चो के नाना नानी है, मैं इनका नाना हु और खदीजा उनकी नानी है और यह श्रेष्ठ लोग है. इसके बाद इनके माँ बाप श्रेष्ठ है और वह अली और फातिमा है. इसके बाद उनके चाचा चची श्रेष्ठ है जो हज़रत जाफर (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) और उम्मे हानी (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) है. इसके बाद उनके मामू और खाला श्रेष्ठ है. उनके मामू हज़रत अब्दुल्लाह तैय्यब व ताहिर, हज़रत क़ासिम और हज़रत इब्राहिम (रदीअल्लाहो त'आला अन्हु) है और उनकी खाला हज़रत उम्मे कुलसूम, हज़रत रुक़ैय्याह और हज़रत ज़ैनब (रदीअल्लाहो त'आला अन्हा) है.
[नुज़हतुल मजलिस]

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