🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
तलाक़ और इद्दत
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⛔शोहर के सिवा किसी और पर शोक करना - 01⛔
हज़रत अबु सलमा की बेटी हज़रत ज़ैनब फरमाती है, "अपने वालिद अबु सुफ़यान के इन्तेक़ाल की खबर के तीन दिन बाद, उम्मुल मोमिनीन हज़रत उम्मे हबीब ने इत्र माँगा जिसमे पिली खुसबू थी. पहले आपने वह बैठी कुछ लड़कियों को खुसबू लगायी उसके बाद कुछ अपने गाल पर मालो लिया और बोली, "मुझे इस इत्र की ज़रुरत नहीं (मगर मैंने इसलिए लगाया ताकि मैं उन में गिनी जौ जो तीन दिन से ज्यादा शोक नहीं मनाते). मैंने रसूलअल्लाह को कहते सुना की अल्लाह पर ईमान लाने वाली औरतो में ये जाइज़ नहीं है और किसी गैर के लिए शोक करना सिर्फ तीन दिन है और अपने शोहर पर शोक करना चार महीना और दस दिन है.
(बुखारी और मुस्लिम)
अल्लाह त'आला हम सबको इस्लामी तरीके से रहने की तौफ़ीक़ अत फरमाये,
आमीन.
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