Thursday, November 24, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 032

🗯कसमे की प्रकार - 02🗯

अगर खायी हुई कसम समय सिमित न हो तो एक तलाक़ लागू हो जाता हैऔर कसम अभी भी मान्य है मतलब अगरचार महीने के दौरान उससे फिरसे निकाह किया जाए और जिस्मानी ताल्लुकात बनाये जाए, तो हदय देना ज़रूरी हो जाएगा (जरूरत हो तो) या तो फिर जो कसम खायी हो उसे पूरी करनी पड़ेगी (गुलामो को आज़ाद करना, रोज़े रखना वगैरा). अगर चार महीने गुज़र गए और संबंद न बना, तो ओने रुजू करने वाली तलाक़ लागू हो जाती है और कसम अभी भी मान्य रहेगी. इसी तरह अगर उसने उससे तीसरी मर्तबा निकाह किया और चार महीने तक कोई सम्बन्ध नहीं बनाया तो उसपे एक हमेशा वाली तलाक़ लागू हो जाती है और वो उस औरत से अगली बार निकाह नहीं कर सकता जब तक हलाला न कर ले. अगर वो हलाला के बाद उससे निकाह करता है तो पाकी की कसम रद्द हो जाती है और अगर वो उससे चार महीनो तक सम्बन्ध न बनाये फिर भी उसपे तलाक़ का हुक्म नहीं लगता. फिर भी, कसम अभी भी मान्य रहेगी और अगर वो उससे सम्बन्ध नहीं बढ़ता तो उसे हदय देना पड़ेगा.

अगर औरत किसी दूसरे मर्द से दो या तीन तलाक़ के बाद दूसरा निकाह करती है और फिरसे अपने पहले वाले शोहर से निकाह करती है (दूसरे शोहर से तलाक़/इद्दत के बाद) तो उसके पास फिरसे तीन तलाक़ बाकी रहेगी मगर कसम मान्य रहेगी और अगर वो उसके साथ सम्बन्ध नहीं बनाता तो एक तलाक़ लागु हो जायेगी.
(हिंदिया, बाहर)

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