🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
तलाक़ और इद्दत
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🔊कसम वाले अलफ़ाज़ - 02🔊
मसला:
अगर ऐसी हालात आ जाए की यह काम होने के बाद या फला जगह पर पहुचने तक कम से कम चार महीने हो जाए और जिस्मानी ताल्लुकात न कयाम कर सके तो उसे कसम में गिना जायेंगा.
उदाहरन से, अगर एक सख्षस रजब के महीने में कहता है 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक मैं मुहर्रम के रोज़े न रख लू' या इस कहता है 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक हम फला जगह पर नहीं पहुँच जाते' और वो जगह तक पहुचने के लिए चार महीना का वक़्त लगता है या फिर वो इस कहे ' मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक अपनी औलाद तेरा दूध पीना न छोड़ दे' और दूध बांध करने के वक़्त में चार महीने या उससे ज्यादा का वक़्त है तो इन सभी किस्सो में कसम जाइज़ गिनी जाएंगी. क्या अगर उसने कही हुई बात चार महीने के अंदर हो जाए मगर निकाह टूट जाए तो ऐसे मामलो में कसम अभी भी मान्य रहेगी.
उदहारण से, वो कहे 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक तेरा या मेरा इन्तेक़ाल न हो जाए' या कहे 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक तेरा या मेरा क़त्ल नहीं हो जाता' या कहे 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक ,ऐन तेरा या तू मेरा क़त्ल नहीं कर देती' या कहे 'मैं तुझसे तब तक ताल्लुकात न बनाऊंगा जब तक मैं तुझे तीन मर्तबा तलाक़ न दे दू'
(जोहरा, बहार वगैरा)
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