Saturday, November 26, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 034

🔊कसम वाले अलफ़ाज़ - 01🔊

कसम के कुछ अलफ़ाज़ स्पष्ट होते है जबकि कई अलफ़ाज़ अस्पष्ट और अप्रत्यक्ष होते है. प्रत्यक्ष अलफ़ाज़ वो है जिसके कहने से मिया बीवी के ताल्लुकात का ख्याल आये और ऐसे अलफ़ाज़ जो अधिकतर उसी के लिए प्रयोग किया जाता है. अगर प्रत्यक्ष अलफ़ाज़ कहा जाता है तो इसमें कसम खाने की निय्यत की कोई ज़रूर नहीं है, कसम मान्य रहेगी. अगर कोई सख्श स्पष्ट और प्रत्यक्ष अलफ़ाज़ का प्रयोग करता है और कहता है की मैं जिस्मानी ताल्लुकात के बारे में नहीं कह रहा था तो ये कबूल नहीं किया जाएंगे और कसम अमान्य रहेगी. अस्पष्ट और अप्रत्यक्ष अलफ़ाज़ वो है जो सिर्फ जिस्मानी ताल्लुकात के लिए नहीं बल्कि और कई बातो के लिए कही जाए. अगर अस्पष्ट अल्फाज़ो का प्रयोग होता है तो कसम मान्य नहीं रहेगी जब तक की इसके लिए निय्यत न की जाए. अगर कोई सख्श इस कहे की मेरा ये कहना जिस्मानी ताल्लुकात से कोई वास्ता नहीं तो उसका भरोसा न किया जाएगा और कसम अमान्य रहेगी.
(रद्द उल मुख़्तार, बहार)

मसला:
अगर कोई सख्श अपनी बीवी को इस कहे की 'अगर मैंने तेरे साथ ताल्लुकात बनाये तो तू मेरे लिए हराम हो गयी' और उसकी निय्यत कसम की थी तो कसम जाइज़ की जायेगी.
(हिंदिया, बहार)

🌹🌹🌹
🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
👑Sufyan 📲+918460300402