Sunday, November 13, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
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🗂इद्दत में शोक करना ज़रूरी - 03🗂

टूँक में, ये उन औरतो के लिए ज़रूरिं है जिनके शोहर का इन्तेक़ाल हो गया हो या उन्हें एक या दो तलाक़ मिली हो के वो शोक करे और जैसे ही इद्दत का वक़्त ख़त्म हो उन्हें शोक करना बांध कर देना चाहिए. क्योंकि ये वास्तविकता है की इद्दत के दरमियान औरते निकाह नहीं कर सकती, और अपने आप को सजाना सिर्फ शोहर के लिए होता है, इसलिए ये हुक्म है की वे अपने आप को इद्दत के दौरान सजाये नहीं.

शोक करना मतलब सृंगार नहीं लगाना, गहने नहीं पेहेनना और ऐसे कपडे न पहनना जिससे गैर मर्द का ध्यान खिंचा चला आये. इसी की वजह से वो औरते (जिसे शोक करना ज़रूरी है) को चमकदार कपडे पहनना, खुसबू लगाना, खुसबूदार कपडे पहनना, गहने नहीं पहनना, बालो की सजावट नहीं करना, बालो में तेल नहीं डालना और सुरमा या कुछ ऐसी चीज़ जिससे आँखों की खूबसूरती हो नहीं लगाना चाहिए.

अगर आँखों में दर्द है तो उसे सुरमा लगाने की इज़ाज़त है मगर उसे रात में लगाना चाहिए और दिन में निकल देना चाहिए. उसे ग़ुस्ल करना और अपने आप को साफ़ सुथरा रखने की इज़ाज़त है मगर नहाते वक़्त खुसबूदार साबुन या तेल नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. अगर सर में दर्द की वजह से तेल डालना ज़रूरी है तो उसे इज़ाज़त है बशारत है की तेल खुसबूदार न हो और जिससे उसके बालो की सुंदरता न बने. उन औरतो पे पान खाकर अपने मुठ या अपने दांत को लाल करना भी जाइज़ नहीं है या फूल पहनना, हीना महेंदी लगाना या अपने होठ या नाखून को रंग लगाना.

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