Friday, November 11, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
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🗂इद्दत में शोक करना ज़रूरी - 01🗂

हज़रत उम्मे सलमा फरमाती है रसूलअल्लाह ने कहा, "वो औरत जिसका शोहर का इन्तेक़ाल हो जाए उसे खुश्बू नहीं लगानी चाहिए, गहने - आभूषण नहीं पहनने चाहिए, साज सजावट नहीं करनी चाहिए, आँखों में काजल नहीं लगानी चाहिए, लिपस्टिक नहीं लगानी चाहिए, बालो में तेल नहीं डालना चाहिए, अपने बालो को सजावट के तौर पे नहीं बनाना चाहिए, मेहँदी नहीं लगानी चाहिए, रेशमी लिबास और भारी कपडे नहीं पहनने चाहिए."
(मिश्कत उल मसबिह)

जब कोई औरत का तलाक़ हो जाए या उसके शोहर का इन्तेक़ाल हो जाए तो उसके लिए ये ज़रूरी है की वो उसी घर में इद्दत का वक़्त गुज़ारे जिसमे वो अपने शोहर के साथ रहती थी. उसके लिए ये जाइज़ नहीं की वो अपना घर छोड़ के कोई दोसरे घर में इद्दत करे.

काफी औरते तलाक़ या बेवा होने के बाद अपना ससुराल छोड़ कर अपने मायके चली जाती है. ये गुनाह का काम है और इस्लामी कानून के खिलाफ है. उसको ये इज़ाज़त नहीं की वो उसके पति का घर छोड़े और उसके ससुराल वालो पर भी ये जाइज़ नहीं की वो उसे घर छोड़ने मजबूर करे जैसे अल्लाह त'आला खुद फरमाता है,

يَا أَيُّهَا النَّبِيُّ إِذَا طَلَّقْتُمُ النِّسَاء فَطَلِّقُوهُنَّ لِعِدَّتِهِنَّ وَأَحْصُوا الْعِدَّةَ وَاتَّقُوا اللَّهَ رَبَّكُمْ لَا تُخْرِجُوهُنَّ مِن بُيُوتِهِنَّ وَلَا يَخْرُجْنَ إِلَّا أَن يَأْتِينَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ وَتِلْكَ حُدُودُ اللَّهِ وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ اللَّهِ فَقَدْ ظَلَمَ نَفْسَهُ لَا تَدْرِي لَعَلَّ اللَّهَ يُحْدِثُ بَعْدَ ذَلِكَ أَمْراً

“ऐ नबी! जब तुम लोग स्त्रियों को तलाक़ दो तो उन्हें तलाक़ उनकी इद्दत के हिसाब से दो। और इद्दत की गणना करो और अल्लाह का डर रखो, जो तुम्हारा रब है। उन्हें उनके घरों से न निकालो और न वे स्वयं निकलें, सिवाय इसके कि वे कोई स्पष्ट। अशोभनीय कर्म कर बैठें। ये अल्लाह की नियत की हुई सीमाएँ है - और जो अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो उसने स्वयं अपने आप पर ज़ुल्म किया - तुम नहीं जानते, कदाचित इस (तलाक़) के पश्चात अल्लाह कोई सूरत पैदा कर दे.”
(अत-तलाक - 1)

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