Tuesday, October 18, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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🌹रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के नवासे की शहादत - 01🌹

सबने अपनी जान अल्लाह की राह में क़ुर्बान करदी थी, सिर्फ रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के कंदोई पे सवार होने वाले, फातिमा की आँखों की ठंडक, शेर ए खुदा के वारिस, जन्नती जवानों के सरदार, हज़रात इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) अपने बीमार और कमज़ोर बेटे इमाम ज़ैनुल आबिदीन जो बिस्तर से उठने के काबिल नही थे उनके साथ बचे थे. मगर फिर भी आपने थोड़ी हिम्मत बनायीं और एक भाला पकडे हुए अपने वालिद से आज़िज़ी की, 'ए मेरे वालिद, आपसे पहले मुझे जाने दो. यह मुम्किंनहीहैकि मेरे होते हुए आप को यह लोग शहीद कर दे.'

इमाम हुसैन ने अपनेबीमार बेटे को एक तरफ किया और समझाया, 'मेरे प्यारे बेटे, तुम पर परिवार की औरतो की हिफाज़तकी ज़िम्मेदारी है, तुम्हे ही इन सब को अपने घर वापस लेकर जाना है. और तुमसे ही मेरी आने वाली नस्ल होगी और तुम ही मेरे नाना और मेरे वालिद की पाक नस्ल का आगे बढ़ने वाले हो. मेरी साड़ी उम्मीदे तुमसे ही है. देखो, सब्र रखो और सहन करो; अल्लाह की राह में सारी मुश्किलो का हिम्मत से सामना करो और फ़रियाद मत करो. किसी भी हालात में, इस्लाम के सिद्धांतो को और तुम्हारे नाना की सुन्नतों को न छोड़ना. जब तुम मदीना पहुचो, तो रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) को मेरा सलाम कहना और जो तुमने देखा है वह सब बयान करना. तुम्ही मेरे अकेले वारिश हो और इसलिए तुम जंग के मैदान में नहीं जा सकते.'

फिर इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) ने सारी ज़िम्मेदारी इमाम ज़ैनुल आबिदीन को सोंप दी, बेटे के सर पर अपना आमामाः रख दिया और उसे बिस्तर पे फिरसे लेता दिया. फिर आप दुसरे खेमे में आये, एक लोहे की पेटी खोली, उसमे से कवच निकल कर पहन लिया. फिर आपने रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) का आमामाः अपने मुबारक सर पर बाँध लिया; फिर आपने सय्यिदिना अमीर हमजा की ढाल लेकर उससे अपने पीछे बाँध दिया और अपने गले में लपेट लिया; अपने वालिद शेर ए खुदा, हज़रत अली (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) की मुबारक तलवार 'ज़ुल्फ़िकार' निकल कर रख ली. हज़रत जफर तैयार  (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) का भाला लिया; और अपने भाई, हज़रत इमाम हसन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) का पट्टा लेकर कमर पर बाँध लिया.

परिवार के लोग यह सब देख रहे थे और बहुत अच्छे से जानते थे की उनके सरदार अब उन्हें छोड़ के हमेशा के लिए जा रहे है. अल्लाह की फ़ौज अपना सेनापति खो रहा था. औरते जो अपना शोहर खो बैठी थी वो अब एक मात्रा रक्षक और संरक्षक खोने वाली थी. आपके बच्चे यतीम होने वाले थे. आको अलविदा कहते हुए सबकी आँखों में आंसू थे मगर उनके लिए कोई सांत्वना देने वाला नहीं था.

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