Monday, October 24, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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🔥उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद की बुरी किस्मत🔥

उबैदुल्लाह बिन ज़ियाद एक महूस आदमी था जिसे यज़ीद ने नियुक्त किया था. इसके कहने पर इमाम मुस्लिम और उनके दो मासूम बेटे को शहीद किया गया. और यही था जिसने इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) से मुक़ाबला करने के लिए अपनी फ़ौज भेजी थी.

मुख़्तार ने इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) के हत्यारे से बदला लेने की कसम खा ली थी. इसलिए उसने उबैदुल्लाह से मुक़ाबला करने के लिए अपनी फ़ौज भेजी. उबैदुल्लाह भी जंग के लिए तैयार हो गया और जंग के मैदान में 30000 फौजी को लेकर आ गया. दोनों फ़ौज मोसुल के पास मिली. दिन के शुरुआत से लेकर ख़त्म होने तक दोनों फौजे लड़ती रही. मगर जैसे ही उबैदुल्लाह हारने वाला था, वो डरपोक ने भागने की कोशिश की. मगर उसे पकड़ा गया और मार दिया गया. विडम्बना से वह हिजरी 67 की 10वि मुहर्रम थी. उसके सर को जिस्म से अलग करके मुख़्तार के पास कूफ़ा भेज गया. जब मुख़्तार को ये बात की खबर हुई तो उसने राज्यपाल मकान को सजाया और सारे कूफावाले को बुलाया और उबैदुल्लाह का सर वही रख दिया जहा इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) का सर ए मुबारक रखा गया था.

मुख़्तार ने फिर लोगो को सम्भोदित किया और कहा, 'ए कूफ़ावालों! देखो कैसे आज बाजी पलट गयी है. ये वही तारीख, वही महीना और वही जगह है. इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) के गलत और निर्दयता से हत्या करने के 6 साल बाद, उसके हत्यारे के सर आज यहाँ बेइज़्ज़ती से रक्खा गया है.' उसने फिर लोगो से खुशिया मानाने को कहा.
[ईएद्धआ]

तिर्मिज़ी शरीफ में ये मौजूद है, की जब मुख़्तार के दरबार में उबैदुल्लाह और उसके साथी के सर रक्खे गए थे, तो पता नहीं कहा से एक सांप आया और उनके सरो पर लपेट गया. जब वह उबैदुल्लाह के सर के पास पंहुचा, तो वो एक नाक से अंदर गया, थोड़ी देर रुक और फिर मुह से बहार आया. ये तीन मर्तबा हुआ और फिर वो सांप गायब हो गया.

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