🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
तलाक़ और इद्दत
Post 007
🚫तलाक की सीमारेखा🚫
अल्लाह त'आला फरमाता है:
الطَّلاَقُ مَرَّتَانِ فَإِمْسَاكٌ بِمَعْرُوفٍ أَوْ تَسْرِيحٌ بِإِحْسَانٍ وَلاَ يَحِلُّ لَكُمْ أَن تَأْخُذُواْ مِمَّا آتَيْتُمُوهُنَّ شَيْئاً إِلاَّ أَن يَخَافَا أَلاَّ يُقِيمَا حُدُودَ اللّهِ فَإِنْ خِفْتُمْ أَلاَّ يُقِيمَا حُدُودَ اللّهِ فَلاَ جُنَاحَ عَلَيْهِمَا فِيمَا افْتَدَتْ بِهِ تِلْكَ حُدُودُ اللّهِ فَلاَ تَعْتَدُوهَا وَمَن يَتَعَدَّ حُدُودَ اللّهِ فَأُوْلَـئِكَ هُمُ الظَّالِمُونَ
“तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है।”
(अल-बक़रा - 229)
ख़ज़ाईन उल इरफ़ान में लिखा गया है की एक औरत रसूलअल्लाह के पास आयी और कहने लगी की उसके शोहर ने उसे कहा है की वो उसे तलाक़ देंगा और फिरसे रुजू करेंगा. हर बार वो तलाक़ देगा और इद्दत ख़त्म होने के कुछ ही वक़्त पहले रुजू कर लेगा. फिरसे उसे तलाक़ देगा और रुजू करेगा और इस तरह पूरी ज़िन्दगी औरत को कैदी की जैसा रखेगा. इस मामले पर ऊपर की आयत नाज़िल की गयी और बताया गया की रुजू करना सिर्फ २ तलाक़ तक सिमित है और तीसरे तलाक़ के बाद रुजू करना मना है.
(ख़ज़ाईन उल इरफ़ान)
🌹🌹🌹
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तलाक़ और इद्दत
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अल्लाह त'आला फरमाता है:
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“तलाक़ दो बार है। फिर सामान्य नियम के अनुसार (स्त्री को) रोक लिया जाए या भले तरीक़े से विदा कर दिया जाए। और तुम्हारे लिए वैध नहीं है कि जो कुछ तुम उन्हें दे चुके हो, उसमें से कुछ ले लो, सिवाय इस स्थिति के कि दोनों को डर हो कि अल्लाह की (निर्धारित) सीमाओं पर क़ायम न रह सकेंगे तो यदि तुमको यह डर हो कि वे अल्लाह की सीमाओ पर क़ायम न रहेंगे तो स्त्री जो कुछ देकर छुटकारा प्राप्त करना चाहे उसमें उन दोनो के लिए कोई गुनाह नहीं। ये अल्लाह की सीमाएँ है। अतः इनका उल्लंघन न करो। और जो कोई अल्लाह की सीमाओं का उल्लंघन करे तो ऐसे लोग अत्याचारी है।”
(अल-बक़रा - 229)
ख़ज़ाईन उल इरफ़ान में लिखा गया है की एक औरत रसूलअल्लाह के पास आयी और कहने लगी की उसके शोहर ने उसे कहा है की वो उसे तलाक़ देंगा और फिरसे रुजू करेंगा. हर बार वो तलाक़ देगा और इद्दत ख़त्म होने के कुछ ही वक़्त पहले रुजू कर लेगा. फिरसे उसे तलाक़ देगा और रुजू करेगा और इस तरह पूरी ज़िन्दगी औरत को कैदी की जैसा रखेगा. इस मामले पर ऊपर की आयत नाज़िल की गयी और बताया गया की रुजू करना सिर्फ २ तलाक़ तक सिमित है और तीसरे तलाक़ के बाद रुजू करना मना है.
(ख़ज़ाईन उल इरफ़ान)
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