🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
तलाक़ और इद्दत
Post 004
⏬तलाक सिर्फ एक आखिरी रास्ता⏬
क़ुरान हमें सिखाता है की अगर शोहर अपनी बीवी को पसंद नहीं करता, फिर भी वो साथ रहकर मिलनसार रहने की कोशिश करनी चाहिए - अल्लाह त'आला फरमाता है:
ا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُواْ لاَ يَحِلُّ لَكُمْ أَن تَرِثُواْ النِّسَاء كَرْهاً وَلاَ تَعْضُلُوهُنَّ لِتَذْهَبُواْ بِبَعْضِ مَا آتَيْتُمُوهُنَّ إِلاَّ أَن يَأْتِينَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ وَعَاشِرُوهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ فَإِن كَرِهْتُمُوهُنَّ فَعَسَى أَن تَكْرَهُواْ شَيْئاً وَيَجْعَلَ اللّهُ فِيهِ خَيْراً كَثِيراً
“ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठे तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे.”
(अन-निसा - 19)
हज़रत मुहरिब फरमाते है की रसूलअल्लाह ने कहा, "हलाल की गयी सारी बातों में, अल्लाह त'आला की नज़रो में तलाक़ सबसे नफरत भरा अमल है."
(सुनन अबु दावूद: खंड 1, पुष्ट 296)
हज़रत इब्ने उमर फरमाते है की रसूलअल्लाह ने कहा, "सभी हलाल चीज़ों में अल्लाह त'आला तलाक़ को सबसे ज्यादा नापसंद फरमाता है."
(सुनन अबु दावूद: खंड 1, पुष्ट 296)
क़ुरान और सुन्नत के नेक तरीके से मर्द पे ये लाज़िम है की वो तलाक़ न देने के लिए सारी मुमकिन कोशिश करे. अगर बहुत ज़रुरत पड़ जाए तो सिर्फ एक तलाक़ दे ताकि वो अपनी बीवी को ३ महीने के इद्दत के वक़्त में फिरसे रुजू कर सकता और अगर नहीं करता इस दौरान तो दोनों ३ महीने के बाद अलग हो जाएंगे. आजकल, लोग ये सोचते है की तलाक़ तीन बार दे सकते है इसलिए वो खुद तीन बार तलाक़ दे देते है या तीन बार तलाक़ लिख कर वकील के सामने रुजू करता है (तीन तलाक़ निकाह को हमेशा के लिए ख़त्म कर देती है और इसके बाद रुजू का कोई रास्ता नहीं). जब इन्हें एहसास होता है की उन्होंने तीन तलाक़ दे दी है और उनका निकाह अब ख़त्म हो चूका है तो वो हचमचा जाते है और फिर उलेमा की तरफ भागते है और तलाक़ को पलटने के रास्ते ढूंढते है. वो हलाला का हराम तरीक़ा भी कोशिश करने के लिए राज़ी हो जाते है जब रसूलअल्लाह ने इसपे लानत भेजी है. फिर भी, अपने बच्चे को मुसीबत से बचने के लिए और अपने आप को दूसरी बुरायियो से बचने के लिए, दोनों दल सुलह करने के लिए तैयार हो जाते है.
🌹🌹🌹
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तलाक़ और इद्दत
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क़ुरान हमें सिखाता है की अगर शोहर अपनी बीवी को पसंद नहीं करता, फिर भी वो साथ रहकर मिलनसार रहने की कोशिश करनी चाहिए - अल्लाह त'आला फरमाता है:
ا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُواْ لاَ يَحِلُّ لَكُمْ أَن تَرِثُواْ النِّسَاء كَرْهاً وَلاَ تَعْضُلُوهُنَّ لِتَذْهَبُواْ بِبَعْضِ مَا آتَيْتُمُوهُنَّ إِلاَّ أَن يَأْتِينَ بِفَاحِشَةٍ مُّبَيِّنَةٍ وَعَاشِرُوهُنَّ بِالْمَعْرُوفِ فَإِن كَرِهْتُمُوهُنَّ فَعَسَى أَن تَكْرَهُواْ شَيْئاً وَيَجْعَلَ اللّهُ فِيهِ خَيْراً كَثِيراً
“ऐ ईमान लानेवालो! तुम्हारे लिए वैध नहीं कि स्त्रियों के माल के ज़बरदस्ती वारिस बन बैठो, और न यह वैध है कि उन्हें इसलिए रोको और तंग करो कि जो कुछ तुमने उन्हें दिया है, उसमें से कुछ ले उड़ो। परन्तु यदि वे खुले रूप में अशिष्ट कर्म कर बैठे तो दूसरी बात है। और उनके साथ भले तरीक़े से रहो-सहो। फिर यदि वे तुम्हें पसन्द न हों, तो सम्भव है कि एक चीज़ तुम्हें पसन्द न हो और अल्लाह उसमें बहुत कुछ भलाई रख दे.”
(अन-निसा - 19)
हज़रत मुहरिब फरमाते है की रसूलअल्लाह ने कहा, "हलाल की गयी सारी बातों में, अल्लाह त'आला की नज़रो में तलाक़ सबसे नफरत भरा अमल है."
(सुनन अबु दावूद: खंड 1, पुष्ट 296)
हज़रत इब्ने उमर फरमाते है की रसूलअल्लाह ने कहा, "सभी हलाल चीज़ों में अल्लाह त'आला तलाक़ को सबसे ज्यादा नापसंद फरमाता है."
(सुनन अबु दावूद: खंड 1, पुष्ट 296)
क़ुरान और सुन्नत के नेक तरीके से मर्द पे ये लाज़िम है की वो तलाक़ न देने के लिए सारी मुमकिन कोशिश करे. अगर बहुत ज़रुरत पड़ जाए तो सिर्फ एक तलाक़ दे ताकि वो अपनी बीवी को ३ महीने के इद्दत के वक़्त में फिरसे रुजू कर सकता और अगर नहीं करता इस दौरान तो दोनों ३ महीने के बाद अलग हो जाएंगे. आजकल, लोग ये सोचते है की तलाक़ तीन बार दे सकते है इसलिए वो खुद तीन बार तलाक़ दे देते है या तीन बार तलाक़ लिख कर वकील के सामने रुजू करता है (तीन तलाक़ निकाह को हमेशा के लिए ख़त्म कर देती है और इसके बाद रुजू का कोई रास्ता नहीं). जब इन्हें एहसास होता है की उन्होंने तीन तलाक़ दे दी है और उनका निकाह अब ख़त्म हो चूका है तो वो हचमचा जाते है और फिर उलेमा की तरफ भागते है और तलाक़ को पलटने के रास्ते ढूंढते है. वो हलाला का हराम तरीक़ा भी कोशिश करने के लिए राज़ी हो जाते है जब रसूलअल्लाह ने इसपे लानत भेजी है. फिर भी, अपने बच्चे को मुसीबत से बचने के लिए और अपने आप को दूसरी बुरायियो से बचने के लिए, दोनों दल सुलह करने के लिए तैयार हो जाते है.
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