Wednesday, October 19, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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🌹रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के नवासे की शहादत - 02🌹

यहाँ एक योद्धा है जो तईं दीं से भूखा है अपने रिश्तेदार, भतीजे और अपने बेटे की लाश को उठा चुके है. अब आप खुद जंग के मैदान में जा रहे है, दुश्मन की आँखों में देखा और कुछ यूँ कहा.

अल्लाह और उसके रसूल (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) की तारीफ करने के बाद, आपने यह कहना शुरू किया, 'ए लोगो! तुम जिस रसूल को मानते हो, ने कहा था, 'जो भी हसन और हुसैन से दुश्मनी करेंगा वो मेरे साथ दुश्मनी करेंगा और जो मेरे से दुश्मनी करेंगा वो अल्लाह से दुश्मनी करेंगा. इसलिए अल्लाह से डरो और मेरे से मुक़ाबला करने से अपने आप को रोको. अगर तुम सच्चे इमामवाले हो तो सोचो तुम्हारा जवाब क्या होगा अल्लाह त'आला के लिए? और तुम रसूलअल्लाह (सकललल्लाहो अलैहे वसल्लम) को क्या मुह दिखाओगे? इ लोगो, तुमने रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के परिवार को बर्बाद किया है, ज़रा अपने किस्मत को देखो. ए गद्दारो! तुमने मुझे यहाँ दावत दी और तानाशाह से बचने के लिए बुलाया और अब जब मैं आ गया तो तुम पलट गए. ए जालिमो, तुमने मेरे परिवार को तबाह किया और मेरे करीबी का क़त्ल किया है, और अब तुम मुझे मारना चाहते हो. ज़रा सोचो मैं कौन हु? किसका नवास हु? मेरे माँ बाप कौन है? तुम्हारे पास अब भी वक़्त है, मुझे मारने का ख्याल रख दो और अपने आप को जहन्नुम की आग से बचा लो.

दुश्मन के खेमे में हलचल मच गयी. उनमे से एकक चिल्लाया, 'ए हुसैन, तुम्हारे पास एक ही विकल्प है, या तुम यज़्ज़िद से बैत हो० जाओ या फिर मारने को तैयार हो जाओ.'इमाम ने जवाब दिया, 'ए नमक हराम लोग, मुझे पता था तुम नहीं सुनोगे, क्योंकि तुम्हारे दिल पे मुहर लगा दी गयी है और तुम्हारे अंदर से इस्लाम की मुहब्बत ख़तम हो चुकी है. मैं सिर्फ अपनी स्थिति का महत्व साबित करने के लिए बात की थी ताकि क़यामत के दिन तुम   ये न कहो की तुम्हे पता नहीं था की मैं कौन हूँ.'

अल्हामोलिल्लाह, मैंने मेरी ज़िम्मेदारी निभाई है. और जब तक यज़ीद की बात है, मैं कभी ऐसे ज़ालिम से बैत न करूँगा. अब तुमने अपना मन बना लिया है तो अपने चुने हुए बन्दे को मेरे से लड़ने के लिए भेजो.' इसलिए, अम्र बिन साद ने उन योद्धा को बुलाया जिन्हें सिर्फ इमाम हुसैन से लड़ने के लिए रक्खा गया था. सबसे पहले लड़ने के लिए मुल्क ए शाम से मसहूर योद्धा तमीम बिन कहताब आया, वो अपनी ताकत और कौशल पर तकब्बुर करते हुए आया मगर ज़ुल्फ़िकार (तलवार) के एक हमले में वो ज़मीन पर मर कर गिर गया.

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