Thursday, October 27, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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❤हुसैन अमर है❤

कर्बला के पहले और उसके बाद भी कई जंगे लड़ी गयी. हर एक जंग इस्लाम के सिद्धांतों की रक्षा के लिए और अल्लाह के नाम की बुलंदी के लिए लड़ी गयी. ऐसी कई जंग थी जिसमे रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) खुद मौजूद थे और कई में आपके सहाबी ने लड़े. आज का मुस्लमान उन जंगो के बारे में बहुत कम जानता है. लेकिन बदकिस्मति से आज का मुसलमान इसके बारे में बहुत कम जानता है. बहुत कम वो जानते है और एहसास नही उन महान क़ुरबानी जिसकी वजह से आज हम तक इस्लाम पंहुचा है.

आज ये बात पे गौर करना है की क्यों हम जंग ए कर्बला के बारे में बाकि जंगो से ज्यादा बहुत सुनते है? क्यों जंग ए कर्बला को हर साल याद किया जाता है और बाकी को नहीं? सबसे बड़ी वजह ये है की ज्यादातर सारी जंग इस्लाम और कुफ्र के बीच में लड़ी गयी. इस्लाम के मानने वाले और न मानने वाले के बीच जंग हुई.

ये जंग इस्लाम के अंदर लड़ी गयी. दोनों दुश्मन दल मुस्लिम थे. मगर लालच ने दुश्मनो पर काबू कर लिया था. ये वो लोग थे जो दौलत और दुनयावी स्थिति  को पाना चाहता थे और आख़िरत के सुखो को नकारते थे. वे तानाशाह शासक से दर रखते थे मगर अल्लाह से डरते नहीं थे. वे अमीर और ताक़तवर को साथ देते थे और सच्चे और नेक लोगो को नकारते थे. ये जंग मुस्लिमो हमेशा याद रखेगे और इससे सबक लेंगे. इसलिए, हम जानते है की हमेशा इस नहीं, की जो मुस्लिम होने का दावा करता है और ज़ाहिर तौर पे इस्लाम के कानून को मानने वाले सच्चे रास्ते पर हो. हमें रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के सच्चे अनुयायियों को पहचानना चाहिए ताकि हम अपने ईमान की हिफाज़त कर सके.

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