Saturday, October 29, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 006

📝रिश्ते को बरकरार रखने के लिए कुरआन के नियम - 02📝

(...कल से जारी रखा)
इसका मतलब यह है कि यदि आप उनकी अवज्ञा की पूरी तरह से जानते हैं तो अपने गुस्से पर काबू नहीं खोना चाहिए, मगर पहले उन्हें सब्र से संजय. अगर ये काम नहीं करता तो उनके साथ रात न गुज़रो और प्यार और सोहबत की बाटियेँ न करो. जिस औरत के पास अच्छे गुण और शराफ़त होंगी वो अपने आप से इस दौरान सुधर जाएंगी.

अगर फिर भी ये काम न करे तो फिर उनपे शख्ती से पेश आओ मगर उतनी भी शख्ती नहीं जिससे उनके जिस्म पर निशानी आ जाए. इसपे हज़रात इब्ने अब्बास की रिवायत से खुल कर तफ़्सीर बयान की गयी है फरमाते है, अगर हालात इस है की आपको उनपे हाथ उठाना पद जाए तो उन्हें मिस्वाक (साल्वाडोरा पर्सिका वृक्ष की टहनी) या ऐसी कोई हलकी चीज़ से मारो जिससे उसे तकलीफ न हो. आजकल, काफी जाहिल मर्द अपनी बीवी को जानवरो के जैसा मारते है; इस्लाम किसी भी हालात में इसकी इज़ाज़त नहीं देता. और अगर औरत अपनी ज़िद्द छोड़ कर अपने शोहर की फरमाबरदारी करने लग्ग जाए तो शोहर पे ये लाज़िम है की वो भी मारना बांध कर दे और प्यार से पेश आने लगे. ये वो रब का फरमान है जो सबसे महान है और उसके फरमान के खिलाफ जाने वालो का बेशक बहुत बुरा अंजाम है.

अगर फिर भी, उनके ये तरीके भी ना कामयाब होते रहे और तलाक़ का ही विकल्प रह गया है तो फिर शोहर और बीवी के घरवालो की तरफ से दो लोग को पसंद करके उनकी फ़रियाद को सुनने और इसे हल करने का प्रयास करना चाहिए. अगर मामला क़ाज़ी के दरबार में जाता है तो क़ाज़ी की भी ज़िम्मेदारी है की वो जल्दी में तलाक़ न करवा दे बल्कि वो भी एक प्रयास करे और हल निकलने की कोशिश करे. अगर सुलह करने वाले मध्यस्थों और काज़िओ ने उन्हें सही मार्गदर्शनदिया तो अल्लाह त'आला भी बेशक उनके साथ है. इसके और रिवायत करने वाले बताते है ' ये दोनों सुलह करना चाहते है' इसका मतलब ये की शोहर और उसकी बीवी सुलह करना चाहते है तो बेशक अल्लाह त'आला उनके साथ है और सुलह के सारे रास्ते खोल देता है.
(तफ़्सीर ज़िया उल क़ुरान: खंड 1, पुष्ट 342-343)

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