Friday, October 28, 2016

Divorce and Waiting Period

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

तलाक़ और इद्दत
Post 005

📝रिश्ते को बरकरार रखने के लिए कुरआन के नियम - 01📝

अल्लाह त'आला फरमाता है:

وَإِنْ خِفْتُمْ شِقَاقَ بَيْنِهِمَا فَابْعَثُواْ حَكَماً مِّنْ أَهْلِهِ وَحَكَماً مِّنْ أَهْلِهَا إِن يُرِيدَا إِصْلاَحاً يُوَفِّقِ اللّهُ بَيْنَهُمَا إِنَّ اللّهَ كَانَ عَلِيماً خَبِيراً

"और यदि तुम्हें पति-पत्नी के बीच बिगाड़ का भय हो, तो एक फ़ैसला करनेवाला पुरुष के लोगों में से और एक फ़ैसला करनेवाला स्त्री के लोगों में से नियुक्त करो, यदि वे दोनों सुधार करना चाहेंगे, तो अल्लाह उनके बीच अनुकूलता पैदा कर देगा। निस्संदेह, अल्लाह सब कुछ जाननेवाला, ख़बर रखनेवाला है."
(अन-निसा: 35)

इन आयत पे तवज्जो करते हुए, हज़रत अल्लामा पीर मुहम्मद करम शाह अजहरी लिखते है:
'अच्छे शवभाव वाली औरतो के साथ ऐसी भी औरते है जो बहुत गुस्से वाली और शख्त शबभव की होती है और ये आयत उनको बदलना सिखाती है. यहाँ 'नाफरमानी का मतलब है की जहा औरत अपने गौरव, अहंकार और नफरत की वजह से अपने शोहर के खिलाफ जाती है. 'डर' का मतलब संदेह या शक नहीं है, लेकिन यह पूरी निश्चितता का मतलब है.'
(कुरतबी)

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