Friday, October 21, 2016

मुहर्रम - मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता

🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙

❄मुहर्रम और इमाम हुसैन की विशेषता❄
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💭सोचने वाली बात💭

कर्बला का दिल दहलाने वाला वाक्या सुन कर कोई इंसान अपने आप को यह सोचने से रोक नहीं सकता की इमाम हुसैन (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) का प्रेरणा स्रोत क्या था जो उन्हें ऐसी महान क़ुरबानी देने और उस पर अटल रहने के लिए मददगार रही. इसके लिए हमें रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) की विलादत की वजह जानने की ज़रूरत है. अल्लाह त'आला फरमाता है:
'यह वही है जिन्होंने अपने महान पैगम्बर को हिकमत और सहीह दीन के साथ भेजा, ताकि ये मज़हब दुसरे सारे मज़हब से बेहतर हो जाए - भले ही फिर मूर्तिपूजा वाले परेशान हो जाए.'

ऊपर की आयत से हमें पता चलता है की रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) की विलादत, इस्लाम को अन्य सभी प्रथाओ से बेहतर बनाने के लिए भेजा गया था. ये विशेष कार्य करने के लिए रसूलअल्लाह (सलकलल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने काफिरो की टेलीफो को सहन करना पड़ा. आप को लोगो ने सामूहिक बहिष्कार किया, आपन शहर छोड़कर हिजरत करनी पड़ी, इसी वजह से उनका मुबारक दांत भी शहीद हुआ था. एहि वजह थी की हज़रात बिलाल (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) ने अपने ज़ालिम मालिको से काफी मुसीबत का सामना किया था. और यही वजह थी की रसूलअल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के हज़ारो सहाबी जंग में जाकर शहीद होते थे.

रसूलल्लाह (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के बाद, यही काम को हज़रत अबू बक्र सिद्दीक़ (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) और हज़रत फ़ारूक़ ए आज़म (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) और हज़रत उस्मान गाणी (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) और हज़रत अली (रदी'अल्लाहो त'आला अन्हु) ने एक के बाद एक आगे बढ़ाया. अब यही ज़िम्मेदारी इमाम हुसैन की थी. आप एक तानाशाह बने तो नहीं मगर उनके खिलाफ खड़े हुए. जंग के स्पष्ट परिणाम क्या होंगे उससे आपको कोई फर्क नहीं पड़ता था, सिद्धांतो के रूप में इमाम हुसैन हक़ीक़त में जीत गए थे.
हमें भी हर तरह से हमारी क़ुरबानी देनी चाहिए, ताकि हम इस्लाम के सिद्धांतो की हिफाज़त कर सके और भ्रष्टाचार और बुराई को निडरता से सामना करे.

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🌙SAHIH DEEN صحيح دين🌙
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